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दूरसंचार कंपनियों ने सरकारी समिति को समस्याएं बताई

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चार दूरसंचार कंपनियों -रिलायंस जियो, रिलायंस कम्यूनिकेशन, एयरसेल और टाटा टेलीसर्विसेज- ने सोमवार को अंतर मंत्रालयी समूह (आईएमजी) के साथ बैठक की और क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा की।


चार दूरसंचार कंपनियों -रिलायंस जियो, रिलायंस कम्यूनिकेशन, एयरसेल और टाटा टेलीसर्विसेज- ने सोमवार को अंतर मंत्रालयी समूह (आईएमजी) के साथ बैठक की और क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा की। उद्योगपति मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस जियो उद्योग में शामिल होनेवाली नई कंपनी है। कंपनी की तरफ से कहा गया कि दूरसंचार कंपनियों ने अपने बैलेंस शीट का फायदा उठाते हुए नई प्रौद्योगिकी में पर्याप्त निवेश नहीं किया, इसलिए उनकी वित्तीय कठिनाइयों के लिए वे खुद जिम्मेदार हैं।

जियो के एक अधिकारी ने कहा, “ऑपरेटरों (जियो के अलावा) को 1,25,000 करोड़ रुपये निवेश की जरूरत है। उन्हें कर्ज चुकाने की जरूरत है तथा प्रौद्योगिकी में निवेश करने की जरूरत है, क्योंकि डेटा में विकास हो रहा है।” अधिकारियों ने कहा कि अन्य कंपनियां भी अपनी हिस्सेदारी बेचकर ऐसा कर सकती हैं।

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उन्होंने आगे कहा कि उद्योग के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में राहत तथा लाइसेंस शुल्क तथा यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड शुल्क में राहत देने की जरूरत है, ताकि उद्योग 20,000-25,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई कर सके।

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दूरसंचार क्षेत्र का कुल कर्ज चार लाख करोड़ रुपये से अधिक है। अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस कम्यूनिकेशन (आरकॉम) ने कहा, “हमारी मांग लाइसेंस शुल्क में राहत तथा स्पेक्ट्रम भुगतान के लिए अतिरिक्त समय मुहैया कराने की है।”

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आरकॉम ने इससे पहले लाइसेंस शुल्क को आठ फीसदी से घटाकर पांच फीसदी करने की मांग की थी। एयरसेल ने भी यही मांग दुहराई। समिति अपनी सिफारिशें तीन महीने के अंदर देगी।


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