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गूगल में भी जातिवाद, लिंगभेद: पूर्व कर्मी

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रिपोर्ट के अनुसार गूगल अपनी भर्ती प्रक्रियाओं में जातीय समूह और लिंग के आधार पर भेदभाव करता है।


अपने पूर्व नियोक्ता पर ताजा हमले में जेम्स दामोरे ने कहा कि प्रौद्योगिकी दिग्गज अपनी भर्ती प्रक्रियाओं में जातीय समूह और लिंग के आधार पर भेदभाव करता है। दामोरे गूगल में इंजीनियर थे, जिन्हें कंपनी के विविध प्रयासों की आलोचना करनेवाले एक ज्ञापन को लेकर नौकरी से निकाल दिया गया है। दामोरे ने सोमवार को सीएनबीसी के टीवी कार्यक्रम क्लोजिंग बेल में कहा कि “गूगल लोगों से जातीय समूह और लिंग के आधार पर भेदभाव करता है।”

दामोरे के हवाले से बताया गया है, “कंपनी विभिन्न प्रबंधकों पर विविधता बढ़ाने के लिए दबाव डाल रही है और यह तय करने के लिए कि कौन से श्रमिक को पदोन्नति दी जाए, इसे जातीय समूह या लिंग के आधार पर तय करता है।” उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने निकाले जाने के विरोध में कंपनी के खिलाफ ‘कानूनी कार्रवाई’ करेंगे।

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इस हफ्ते की शुरुआत में दामोरे ने अपने पूर्व कार्यस्थल को एक ‘पंथ’ कहा था। वाल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित एक लेख ‘क्यों मैं निकाला गया’ में दामोरे ने कहा, “गूगल एक कल्ट है और वहां काम करनेवालों की सबसे बड़ी पहचान यही है कि वे गूगल में काम करते हैं। इसलिए कंपनी की इस बड़ी पहचान के दवाब में वे खुलकर अपनी बात नहीं रख पाते। वहां खुली और ईमानदार चर्चा को चुप करने की कोशिश की जाती है।”

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उन्होंने लिखा, “गूगल, दुनिया में सबसे अच्छे लोगों को काम पर रखने वाली कंपनी, वैचारिक रूप से प्रेरित और वैज्ञानिक बहस के प्रति असहिष्णु कैसे बन गई।”

दामोरे द्वारा सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग इकाई में महिला और पुरुषों के बीच प्रतिनिधित्व के अंतर का कारण लिंगभेद बताने के बाद पिछले हफ्ते, गूगल के भारतीय मूल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कैलिफोर्निया के माउंटेन व्यू में स्थित कंपनी के विशाल परिसर में महिलाओं के लिए एक कोडिंग कार्यक्रम को संबोधित किया था। पिचाई ने कंपनी में काम करनेवाली महिलाओं से कहा, “गूगल आपके लिए है। आप यहां हैं और हमें आपकी जरूरत है।”

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