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आरकॉम के रिण संकट से उबरने की एक नई योजना

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ऋण बोझ से दबी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने कर्जदारों के साथ एक नये सौदे को अंतिम रूप दिया है जिसके तहत आस्तियों की बिक्री से लगभग 40,000 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे। कंपनी प्रमुख अनिल अंबानी ने आज यह दावा किया। इस सौदे से 35 स्थानीय व विदेशी बैंकों द्वारा कंपनी का अधिग्रहण फिलहाल टल जाएगा।

इस पुनरोद्धार योजना को उस चीनी बैंक का समर्थन भी है, जिसने कंपनी को 1.8 अरब डालर का कर्ज चुकाने में असफलता के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में घसीटा था। इस योजना में आरकॉम के बचे स्पेक्ट्रम, टावर व रीयल्टी कारोबार की बिक्री शामिल है। अंबानी ने कहा कि इसके साथ ही अल्पांश हिस्सेदारी किसी रणनीतिक निवेशक को बेची जा सकती है।

यह सौदा 28 दिसंबर की तय समयसीमा से दो दिन पहले हुआ है जबकि बैंक कंपनी की बहुलांश हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने वाले थे। अंबानी ने कहा कि इससे आरकॉम रणनीतिक ऋण पुनर्गठन (एसडीआर) से निकल जाएगा और इसमें बैंकों को ​कोई कर्ज बट्टे खाते में नहीं डालना पड़ेगा।

चाइना डेवलपमेंट बैंक के साथ बैठक के बाद यहां पहुंच अंबानी ने कहा कि इस सौदे में बैंकों के लिए इक्विटी परिवर्तन या बट्टे खाते का कोई जोखिम नहीं है। उन्होंने कहा कि यह नयी प्रक्रिया पूरी होने पर नयी आरकॉम पर सिर्फ 6000 करोड़ रुपये का कर्ज बचेगा जो कि अक्तूबर में 45,000 करोड़ रुपये था। कंपनी का कहना है कि इस नये समाधान के तहत न तो कर्ज के एवज में कोई इक्विटी जारी करनी पड़ेगी और न ही कर्जदाताओं को कोई ऋण बट्टे खाते में डालना होगा।

इस घोषणा के बाद बीएसई में आरकॉम का शेयर 32 प्रतिशत चढ़कर 21.33 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ। उन्होंने कहा कि इस सौदे में आठ स्तरीय आस्ति मौद्रिकरण प्रक्रिया शामिल है जो आरबीआई के पूर्व डिप्टी गर्वनर एस एस मूंदड़ा की अध्यक्षता वाली निगरानी समिति के तहत होगा। आस्ति मौद्रीकरण की प्रक्रिया से मिलने वाले धन का इस्तेमाल केवल कर्जदारों को चुकाने में किया जाएगा।


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