
ट्रूकॉलर की मदद से भारत में हर महीने 2.2 मिलियन कॉल्स की पहचान की जाती है।
स्मार्टफोन का उपयोग आज सोशल साइट और मैसेजिंग एप्स के लिए काफी किया जा रहा है। ऐसे में हर दिन नए एप्स लॉन्च होने के साथ ही कंपनियों द्वारा पुराने एप्स में भी बदलाव किया जा रहा है। उपभोक्ताओं को बेहतर सर्विस और सुविधाएं देने के लिए लोकप्रिय कॉलर आईडी एप ट्रूकॉलर ने नया अपडेट वर्जन ट्रूकॉलर 8 लॉन्च किया है। जिसमें उपभोक्ताओं को कई खास फीचर्स मिलेंगे। ट्रूकॉलर 8 को एंडरॉयड वर्जन के लिए लॉन्च किया गया है। जिसका डिजाइन पूरी तरह नया है और इस एप में नए फीचर्स को भी पेश किया गया है।
बीजीआर इंडिया ने ट्रूकॉलर के सीईओ और सह-संस्थापक एलेन ममेदी और चीफ स्ट्रेटजी आॅफिसर व सह-संस्थापक नामी जरीगहालन से नउ अपडेट के बारे में बात की। Mamedi और Zarrighalan के अनुसार भारत में ट्रूकॉलर से हर महीने लगभग 2.2 मिलियन कॉल्स की पहचान होती है। उपभोक्ता हर महीने 568 लाख कॉल्स ट्रूकॉलर की मदद से करते हैं। इस एप की मदद से भारत में प्रत्येक महीने 500 स्पैम कॉल्स की पहचान की जाती है।
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ममेदी ने कहा कि यदि प्रत्येक कॉल का औसत निकालें तो एक कॉल 40 सेकेंड की होती है। ट्रूकॉलर ने भारतीयों का 19,000 साल का टॉकटाइम बचाया है। अन्यथा इतना समय बर्बाद ही होता। साधारण शब्दों में कहें तो शहरों में इतना समय बर्बाद होना काफी बड़ी बात है।
वहीं ट्रूकॉलर 8 में कंपनी ने उपभोक्ताओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई खास फीचर्स को शामिल किया है। जिसमें डिजिटल पेमेंट के लिए आईसीआईसीआई बैंक से समझौते के अलावा फ्लैश मैसेज और फीचर फोन के लिए कॉलर आईडी की सुविधा भी शामिल है।
ट्रूकॉलर में अब एसएमएस इनेबल
ट्रूकॉलर में उपभोक्ता अब अपने मैसेजिंग इनबॉक्स को इनेबल कर सकते हैं। वहीं आप उन मैसेज को भी अनदेखा कर सकते हैं जो कि बिना अधिक व्यायाम के 25 किलोग्राम वजन कम करने का दावा करते हैं। जर्जिगलन के मुताबिक, लगभग 15 प्रतिशत स्पैम मैसेज या लगभग 1.2 ट्रिलियन स्पैम संदेश हर साल भेजे जाते हैं।
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फ्लैश मैसेजिंग
ट्रूकॉलर 8 में फ्लैश मैसेजिंग फीचर की सुविधा दी गई है जिसमें यूजर को कॉल आने से पहले Flash SMS के जरिए इन्फर्मेशन भेज दी जाएगी। फ्लैश SMS सीधे स्क्रीन पर खुलता है। ममेदी के अनुसार यूजर्स इसमें लोकेशन शेयर भी कर सकते हैं। इसके लिए केवल टैप पर क्लिक करें और शेयर करें। यदि आप यात्रा कर रहे हैं और अपने परिजनों का मैसेज आता है तो आप उसी पर लोकेशन शेयर कर सकते हैं। इसके अलावा इसमें हार्ट इमोटीकॉन को भी उपयोग किया जा सकता है।
ट्रूकॉलर पे
देश में कुछ महीने पहले हुए नोटबंदी के बाद देश में डिजिटल भुगतान का उपयोग काफी बढ़ा है। ऐसे में उपभोक्ताओं को कैशलैस सर्विस मुहैया कराने के लिए कई मोबाइल पेमेंट कंपनियों सहित सरकार द्वारा भी कदम उठाए गए। जिसके अंतर्गत भीम और यूपीआई एप्स शामिल हैं। जिनका उपयोग कर आसानी से कैशलैस भुगतान किया जा सकता है। वहीं अब ट्रूकॉलर ने भी डिजिटल भुगतान के लिए आईसीआईसीआई बैंक से समझौता किया है। जिसके बाद अब ट्रूकॉलर अब यूपीआई सिस्टम से कनेक्ट होगा। इस एप का उपयोग करने वाले देश के लाखों यूजर्स तत्काल यूपीआई आईडी बना कर किसी भी यूपीआई आईडी या मोबाइल नम्बर जो कि भीम एप्प से पंजीकृत हैं पर पैसा भेज सकेंगे। यह यूजर्स को ट्रूकॉलर एप्प के माध्यम से अपना मोबाइल नम्बर रिचार्ज करने की क्षमता भी प्रदान करेगा।
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एनपीसीआई के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर श्री दिलीप असबे ने कहा, ‘‘एनपीसीआई आईसीआईसीआई बैंक और ट्रूकॉलर इस अत्याधुनिक यूपीआई टैक्नोलॉजी काम में लेने के लिए प्रशंसा करता है, जिससे सुरक्षित भुगतान और ग्राहकों को एक नवाचारी समाधान मिल सकेगा। यह उल्लेखनीय विकास इस पारिस्थितिकी तन्त्र में बड़े खिलाड़ियों को यूपीआई की तेज गति को आत्मसात करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।”
फीचर फोन के लिए कॉलर आईडी
ट्रूकॉलर ने एयरटेल समझौता किया है जिसके बाद फीचर फोन उपभोक्ता भी आने वाली कॉल्स के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जिन फीचर फोन्स में एयरटेल का सिम कार्ड होगा, उनमें बिना इंटरनेट के भी कॉलर की आईडी दिखेगी। एयरटेल मोबाइल सर्विसेज इस्तेमाल कर रहे सभी फीचर फोन यूजर्स इसे सब्स्क्राइब कर सकते हैं।
ट्रूकॉलर पर गूगल डुओ
ट्रूकॉलर ने वीडियो कॉल के लिए गूगल डुओ के साथ समझौता किया है। जिसके बाद ट्रूकॉलर यूजर्स उच्च क्वालिटी वीडियो कॉलिंग की सुविधा हासिल कर सकेंगे। ट्रूकॉलर 8 में उपभोक्ताओं को वीडियो कॉल का उपयोग करने के अलावा कॉल लॉग्स में वीडियो कॉल रिकॉर्डिंग की भी सुविधा मिलेगी। जिसकी मदद से यूजर्स आसानी से अपने पुराने वीडियो कॉल को सर्च कर देख सकते हैं।
ट्रूSDK साथ डेवलपर्स पर फोकस
इस घोषणा में कुछ और जोड़ते हुए, ट्रूकॉलर ट्रूSDK के साथ मिलकर एक ज्यादा अच्छा और खुला प्लेटफार्म निर्मित करना चाहता है। आपको बता दें कि ये iOS के साथ साथ वेब को भी सपोर्ट करता है। इसके माध्यम से डिजिटल ब्रांड्स को ऑनबोर्ड लाया जा सकता है। ऐप्स और सेवाओं में यूजर्स की पहचान की जा सकती है। एंड्राइड, iOS और वेब की सपोर्ट के साथ ट्रूकॉलर आज एक पसंदीदा प्लेटफार्म के रूप में उभर कर सामने आया है।
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