
दूरसंचार विभाग ने अपने एक सर्वेक्षण में पाया कि देश में करीब 60 प्रतिशत लोग अभी भी बार-बार कॉलड्रॉप की समस्या से जूझ रहे हैं।
दूरसंचार विभाग ने अपने एक सर्वेक्षण में पाया कि देश में करीब 60 प्रतिशत लोग अभी भी बार-बार कॉलड्रॉप की समस्या से जूझ रहे हैं जिसमें से अधिकतर को इसका सामना घरों के भीतर करना होता है। विभाग ने सभी सेवाप्रदाताओं के 3.56 लाख उपयोक्ताओं के बीच यह सर्वेक्षण किया जिसमें 2.15 लाख (करीब 60 प्रतिशत) ने कॉलड्रॉप की शिकायत की। दूरसंचार विभाग ने इसके लिए 26.97 लाख उपयोक्ताओं को कॉल किया जिसमें से 3.56 लाख लोगों ने इसमें भाग लिया।
हाल ही में कुछ समय पहले दूरसंचार विभाग ने बयान में कहा, ‘‘करीब 2,20,935 उपभोक्ता सर्वेक्षण में शामिल हुए। इनमें से 1,38,072 ने कहा कि उन्हें कॉल ड्रॉप की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यह सर्वेक्षण आटोमेटेड कॉल सर्विस के जरिए 23 दिसंबर से 28 फरवरी, 2017 के दौरान किया गया। इसमें सीधे उपभोक्ताओं से राय ली गई।
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दूरसंचार विभाग की आटोमेटेड कॉल सर्विस या इंटिग्रेटेड वॉयस रेस्पॉन्स सिस्टम (आईवीआरएस) ने सभी दूरसंचार प्रदाताओं के ग्राहकों को 16.61 लाख कॉल कीं। बयान में कहा गया है कि उपभोक्ताओं के मिली राय से पता चलता है कि ‘इंडोर’ में कॉल ड्रॉप की समस्या अधिक होती है।
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हाल ही में मोबाइल सेवाओं की गुणवत्ता की जांच के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने ऑपरेटरों के सहयोग से परीक्षण अभियान शुरू कर दिया है। इसके जरिये नियामक को तत्काल आधार पर आंकड़े मिल सकेंगे और वह विभिन्न शहरों में कॉल ड्रॉप और वॉयस गुणवत्ता की जांच कर सकेगा।
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