
क्या आप जानते हैं इनके बीच के अंतर को, अगर नहीं तो आइये जानें।
आज से लगभग 30-35 साल पहले तक किसी ने भी कल्पना नहीं की होगी कि वह एक ऐसे डिवाइस का इस्तेमाल करेगा जो बिना तारों के आपको दुनियाभर में कहीं भी ले जाएगा, अर्थात् आपको बात आपके करीबियों से करा देगा। अभी मैं बात महज बात कराने की कर रहा हूँ, इसके अलावा आज जो एक स्मार्टफोन कर सकता है उसके बारे में हम आगे चर्चा करने वाले हैं। Alexander Graham Bell ने भी जब टेलीफोन की खोज की थी, तो उस समय या उसके बाद कई साल तक किसी ने भी यह नहीं सोचा होगा कि आखिर हमारे पास ऐसा भी एक डिवाइस हो सकता है, जो सुरक्षा से लेकर हर पहलू में हमारे लिए और हमारी ज़िन्दगी के लिए इतना जरुर बन जाएगा।
आपको यहाँ मैं बता दूँ कि 1885 में ग्राहम बेल द्वारा भी अमेरिका में एक टेलीफोन और टेलीग्राफ कंपनी AT&T की शुरुआत की थी और इसे एक नई क्रांति के रूप में देखा जा रहा था। हालाँकि अब यह क्रांति एक नया ही रूप ले चुकी है। एक ऐसा रूप जो काफी व्यापक और अंतहीन है। हालाँकि जिस तकनीकी का इस्तेमाल आज हम कर रहे हैं उसमें मार्टिन कूपर से लेकर अब तक बेहिसाब बदलाव ही हो गए हैं। और निरंतर होते जा रहे हैं। इसे भी देखें: TENAA पर दिखा शाओमी का नया स्मार्टफोन MCT3B, लैस होगा 13-मेगापिक्सल कैमरा से
असल में तार वाले टेलीफोन से शुरू हुआ सफ़र बिना तार के साथ और अब इस दौर में एक नया ही रूप ले चुका है। मैं आपसे कई बार कह चुका हूँ कि एक स्मार्टफोन जिसे दुनिया में आये लगभग 23 साल का समय हो गया है, IBM Simon के रूप में दुनिया का सबसे पहले स्मार्टफोन 16 अगस्त 1994 को सामने आया था, हालाँकि इसके बाद से दुनियाभर में इसके विकास ने आज एक नया ही आयाम तय कर लिया है। एक साधारण फोन से एक हाई-टेक फोन का सफ़र काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है। लेकिन आज इस तकनीकी या यूँ कहें कि इस स्मार्टफोन ने एक नया ही रूप ले लिया है। जहां कुछ समय पहले तक ऐसा माना जा रहा था कि स्मार्टफोन की सुरक्षा में कुछ कमियाँ हैं लेकिन आज जब Biometric तकनीकी भी स्मार्टफोन में आई गई है, तो सुरक्षा को लेकर भी एक नया ही आयाम कायम हो गया है। इसे भी देखें: सैमसंग Galaxy J7 (2016) के लिए जारी हुआ एंड्राइड नौगट अपडेट
हालाँकि सुरक्षा को लेकर समय समय पर स्मार्टफोंस में सभी कंपनियां काफी कुछ करती हैं। और करती जा रही हैं। निरंतर कर रही हैं। हालाँकि आज भी हम में कुछ ऐसे लोग हैं जो जानते ही नहीं हैं कि आखिर Biometric और Non- Biometric सुरक्षा में क्या प्रमुख अंतर हो सकता है। तो आज मैं आपको इसके बारे में भी कुछ बताने वाला हूँ। आइये जानते हैं कि आखिर सुरक्षा को लेकर शुरू हुए इस कदम ने आज कहाँ और क्या अंतर बचे हैं।
Biometric और Non- biometric पासवर्ड में अंतर
अगर परिभाषा की ही बात करूँ तो, आपको बता देता हूँ कि Biometric शब्द को Biological डाटा के रूप में देखा जाता है, जो फिंगरप्रिंट के रूप में या आनुवंशिक डेटा के रूप में बड़ी जल्दी और तेज गति से एक्सेस हो सकता है। हालाँकि अभी के लिए आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि, आप एक Biometric ऑथेंटिकेशन हैं, और आपको किसी को वेरीफाई करने के लिए उस व्यक्ति की जो किसी एक चीज़ को एक्सेस करना चाहता है उसका बायोलॉजिकल पहचान चाहिए, अर्थात् आपके शरीर के उस हिस्से की पहचान जो आपके इसमें दर्ज की हुई है। इसे भी देखें: जल्द ही Nubia भी पेश कर सकता है अपना एक फुल स्क्रीन स्मार्टफोन?
उसके बिना आपको इसमें प्रवेश नहीं मिलेगा। ऐसा ही किसी भी स्मार्टफोन को लेकर हो सकता है जब आप अपने स्मार्टफोन में एक Biometric पासवर्ड दर्ज कर देते हैं, यह फिंगरप्रिंट सेंसर के रूप में भी हो सकता है साथ ही यह आपके आँखों के रेटिना के रूप में भी ही सकता है, और जब तक आपका मोबाइल इसकी पहचान आपके रूप में ही नहीं कर लेता तब तक यह ओपन नहीं हो सकता है। यहाँ भी एक खामी पिछले कुछ समय में नजर आई है कि अगर आपको किसी का स्मार्टफोन फिंगरप्रिंट के माध्यम से ओपन करना है तो आप उसके फिंगरप्रिंट की छाप लेकर भी ऐसा कर सकते हैं। साथ ही रेटिना को लेकर भी कुछ त्रुटियाँ हमारे सामने आई हैं। हालाँकि कुलमिलाकर कहें तो इस प्रणाली में आप अपना पासवर्ड खुद होते हैं।
आज आप हर ऐप के साथ भी ऐसा कर सकते हैं, यानी अपने फोन में तो आप इसे अप्लाई कर ही सकते हैं, साथ ही आप अपने फोन में मौजूद हर ऐप में भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। यानी आपका फोन आपके खुद के बिना ओपन हो ही नहीं सकता है, हालाँकि जैसे मैंने आपसे कहा कि इसमें भी कई त्रुटियाँ हैं। लेकिन सभी स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां इस ओर बड़े पैमाने पर काम कर रही हैं। इसे भी देखें: 10.or E स्मार्टफोन को 4,000mAh बैटरी के साथ भारत में किया पेश, शुरुआती कीमत: 7,999 रुपए
जैसा कि आपने देखा कि Biometric में आप अपना पासवर्ड खुद होते हैं, तो आइये अब बात करते हैं non-Biometric पासवर्ड की तो आपको यहाँ मैं बता देते हूँ कि ये पासवर्ड कुछ समय पहले तक काफी चलन में रहे हैं और आज भी यह मिड-रेंज स्मार्टफोंस में नजर आते हैं। यहाँ तक आज सभी स्मार्टफोंस में आपको यह देखने को मिल जायेंगे। यह ऐसा पासवर्ड होता है, जो आपको किसी पैटर्न और पिन के रूप में देना होता है। जैसा कि आप अपने फोंस में करते हैं, यह बड़ा ही आसान तरीका है किसी के भी फोन को अनलॉक करने का क्योंकि अगर एक बार आपने किसी का पासवर्ड चोरी से देख लिया है तो आप उसके फोन को आसानी से एक्सेस कर सकते हैं। क्योंकि इस प्रणाली में आप अपना पासवर्ड खुद नहीं होते हैं। तो इसे एक कम सुरक्षित तरिका कहा जा सकता है, लेकिन इसपर भी भरोसा किया जा सकता है। क्योंकि ज्यादा बार ऐसा नहीं देखा गया है, कि आप किसी का पासवर्ड चुराने में कामयाब हो जाएँ।
यहाँ अंत में आपको हम यही कह सकते हैं कि इनमें मुख्य अंतर यही है और दोनों ही प्रणालियों में सुधार के लिए काफी काम किया जा रहा है, ताकि उन्हें और अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। और आने वाले समय में हम देखने वाले हैं कि नई नई तकनीकियों को इसके साथ जोड़कर इसे और भी सुरक्षित बनाया जाएगा। इसे भी देखें: असुस Zenfone 4 भारत में 14 सितंबर को हो सकता है लॉन्च, जानें इसके बारे में सबकुछ
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